मुहूर्त का शास्त्रीय एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्व: प्रश्नों का विश्लेषण

प्रश्न 1: यदि विवाह में मुहूर्त का इतना महत्त्व है, तो तलाक और झगड़े क्यों होते हैं?

उत्तर: विवाह का मुहूर्त एक अनुकूल समय निर्धारित करता है, जिसमें ग्रहों की ऊर्जा और आशीर्वाद दंपत्ति को मिलती है। यह समय विवाह को स्थायित्व, सामंजस्य और प्रेम की ऊर्जा से भरने का कार्य करता है। परंतु यह भी महत्वपूर्ण है कि हर व्यक्ति का कर्म और उसके व्यक्तिगत गुण भी जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं। विवाह के बाद पति-पत्नी के बीच विश्वास, समझ, और धैर्य की आवश्यकता होती है। यह शास्त्रों का ही नियम है कि ग्रहों की स्थिति एक अनुकूल वातावरण बनाती है, लेकिन सफलता कर्म और परिश्रम पर निर्भर करती है। अतः, मुहूर्त एक मार्ग है, परंतु सफलता का मूल आधार मनुष्य का आचरण और समझ होती है।

प्रश्न 2: नामकरण का मुहूर्त देखने के बाद भी, क्या यह आवश्यक है कि व्यक्ति सफल और खुशहाल होगा?

उत्तर: शास्त्रों के अनुसार, नामकरण के समय पर ध्यान देने से उस व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। नामकरण मुहूर्त केवल प्रारंभिक ऊर्जा का आधार बनता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में शांति, प्रेम और उन्नति की संभावनाएं बढ़ती हैं। परंतु यह केवल पहला कदम है; जीवन में सफलता कर्म, शिक्षा, और अनुशासन पर आधारित होती है। मुहूर्त का उद्देश्य केवल एक सकारात्मक दिशा की ओर प्रवाहित करना है, जिससे व्यक्ति जीवन की चुनौतियों का सामना साहस से कर सके। इसे केवल संपूर्ण सफलता का निर्धारक मान लेना अधूरी समझ है।

प्रश्न 3: कृत्रिम रूप से जन्म के मुहूर्त को बदलकर जन्म देने से क्या जीवन में सफलता मिलती है?

उत्तर: शास्त्रों में प्राकृतिक नियमों के अनुसार कार्य करने पर बल दिया गया है। गर्भवती स्त्री के गर्भाशय को चीर कर, समय का हस्तक्षेप करना प्राकृतिक क्रम को तोड़ता है, और इसका प्रभाव बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास पर भी पड़ सकता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी, प्राकृतिक समय पर जन्म लेने वाले बच्चों का स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन अधिक स्थिर पाया गया है। यह इसलिए कि प्राकृतिक मुहूर्त में माता और बच्चे दोनों की ऊर्जा का तालमेल बना रहता है। कृत्रिम हस्तक्षेप में यह तालमेल टूट सकता है और संभावनाओं में अनिश्चितता उत्पन्न हो सकती है। अतः, शास्त्र और विज्ञान दोनों ही प्राकृतिक मुहूर्त के समर्थन में हैं।

प्रश्न 4: क्या मृत्यु का समय निर्धारित किया जा सकता है? मृत्यु के पश्चात कर्मकांड का क्या महत्त्व है?

उत्तर: मृत्यु का समय हर व्यक्ति के प्रारब्ध और कर्मों से जुड़ा होता है, और यह उसकी जन्म कुंडली में ही निहित होता है। मृत्यु के पश्चात कर्मकांड और संस्कारों का उद्देश्य आत्मा को शांति, मुक्ति, और ऊर्ध्वगति प्रदान करना है। यह शास्त्रों के अनुसार उस आत्मा को शुभ विचार, सकारात्मक ऊर्जा और शांति देने का प्रयास होता है, जिससे उसकी यात्रा सरल हो सके। हालांकि, मृत्यु के बाद आत्मा का पथ उसके कर्मों से निर्धारित होता है, और ये संस्कार उसे आवश्यक ऊर्जा प्रदान करते हैं। इसका वैज्ञानिक दृष्टिकोण यह है कि संस्कार एक प्रकार की सामूहिक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं जो आत्मा के लिए सहायक सिद्ध हो सकती है।

प्रश्न 5: भगवान की कृपा से ही सब होता है, तो मुहूर्त क्यों आवश्यक है?

उत्तर: भगवान की कृपा और उनकी समय व्यवस्था का सम्मान करना ही शास्त्र का मूल है। हर कार्य के लिए एक सही समय या मुहूर्त निर्धारित है, जो कि प्राकृतिक ऊर्जा के प्रवाह और ग्रहों के प्रभावों के अनुसार निर्धारित होता है। यह समझना आवश्यक है कि भगवान ने प्रकृति की रचना समय के नियमों के साथ की है। इस समय-संयोजन का सम्मान करते हुए कार्य करना, भगवान के आदेश का पालन करना ही है। मुहूर्त को न मानना, उनकी बनाई इस प्राकृतिक व्यवस्था का अपमान करना है। अतः हर कार्य को सही समय पर करना, शास्त्रों के अनुसार भगवान की इच्छा का सम्मान है।

निष्कर्ष

मुहूर्त हमारे जीवन में एक सकारात्मक शक्ति का संचार करते हैं और ईश्वर की बनाई समय-व्यवस्था का पालन करते हैं। प्रत्येक कार्य के लिए शास्त्रों में एक मुहूर्त का विधान है जो प्राकृतिक ऊर्जा के संरेखण का सम्मान करता है। भगवान की इच्छा से जो शुभ समय मिलता है, उसका पालन करना जीवन में संतुलन, शांति और सफलता का मार्ग है। इसलिए, मुहूर्त का महत्व नकारना अधर्म और शास्त्रों का अपमान है।

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विश्व प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य, वास्तु गुरु एवं मनोवैज्ञानिक मार्गदर्शक डॉ. कृष्णकांत लवानिया जी (गजानन महाराज जी) का परिचय:

सिद्धांत ज्योतिष एवं वास्तु केंद्र, शगुन मैरिज ब्यूरो एवं कृष्णा जेम्स एंड ज्वैलरी, जयपुर के संस्थापक एवं "ज्योतिष का संविधान", "वास्तु शास्त्र एवं हस्तरेखा शास्त्र का संविधान", "लाल किताब की आचार संहिता", "जीवन मंत्रा" (ज्योतिष, हस्तरेखा, वास्तु एवं मनोविज्ञान का महासंगम)- "जीवन के हर पहलू का संतुलन" एवं ब्रह्मांड के रहस्य (सृष्टि, ऊर्जा और जीवन के शाश्वत सूत्र) "ब्रह्मांड के प्रत्येक नियम का दिव्य और अद्वितीय अनावरण" नामक पांच महान पुस्तक ग्रंथो के लेखक डॉ. कृष्ण कांत लवानियां जो कि "गजानन महाराज"(भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी संबोधित), "राष्ट्रीय पुरोहित, एस्ट्रोलॉजर ऑफ ताज & पिंक सिटी एवं वर्तमान विश्व नास्त्रेदमस", "मगध रत्न" (मगध अर्थात बिहार के महामहिम राज्यपाल द्वारा संबोधित), "कलिंगा महारत्न" (कलिंगा अर्थात उड़ीसा के महामहिम राज्यपाल द्वारा संबोधित), "देवभूमि पुरोहित" (देवभूमि अर्थात उत्तराखंड के महामहिम राज्यपाल द्वारा संबोधित), "एस्ट्रोलॉजर रक्षक" & "एस्ट्रोलॉजर संकट मोचन" (भारत सरकार के माननीय रक्षा मंत्री द्वारा संबोधित) एवं लेखक "वास्तु का स्वर्णिम पिटारा" (भारत सरकार के माननीय परिवहन मंत्री द्वारा संबोधित) एवं सर्वश्रेष्ठ प्रागज्योतिषीय पुस्तक के लेखक (प्रागज्योतिषपुर अर्थात असम के महामहिम राज्यपाल द्वारा संबोधित) आदि उप-नामों से प्रख्यात इंटरनेशनल एस्ट्रोलॉजर (अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग 23 - वर्तमान अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग 5) एवं साइंटिफिक वास्तु एक्सपर्ट (औरा स्कैनर टूल्स एंड टेक्निक्स साइंटिस्ट) हैं। वर्तमान में भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही एक्ट ईस्ट पॉलिसी के वास्तु प्रमुख है।दक्षिण के ब्राह्मणों द्वारा हजारों वर्ष पूर्व स्थापित की गई ज्योतिषीय पीठों में से डॉक्टर लवानिया सौराष्ट्र, कुरुक्षेत्र, तिरुपति एवं मदुरै ज्योतिषीय पीठ के अधिपति हैं।

डॉ.लवानिया जंतु विज्ञान, ह्यूमन साइकोलॉजी एवं ज्योतिष शास्त्र विषय में पी.एच.डी की डिग्री प्राप्त है तथा डॉ. कृष्णकांत लवानिया न केवल ज्योतिष और वास्तु के क्षेत्र में विश्वस्तरीय विशेषज्ञता रखते हैं, बल्कि मनोविज्ञान के क्षेत्र में भी एक अग्रणी हस्ती के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के जटिल मुद्दों जैसे अवसाद, चिंता विकार, तनाव प्रबंधन, और संबंध परामर्श में अपनी गहरी अंतर्दृष्टि और संज्ञानात्मक विज्ञान के सिद्धांतों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया है। उनकी मनोवैज्ञानिक सेवाओं ने न केवल लोगों के व्यक्तिगत जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है, बल्कि उन्हें मानसिक शांति और संतुलन की ओर भी प्रेरित किया है। डॉ. लवानिया का 23 वर्षों से अधिक का अनुभव और उनके द्वारा लागू की गई उन्नत तकनीकें जैसे संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा (CBT) और तनाव प्रबंधन ने हजारों लोगों को अवसाद और चिंता के चंगुल से बाहर निकालकर जीवन में नया दृष्टिकोण और आत्मविश्वास प्रदान किया है। उनके परामर्श से न केवल मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हुआ है, बल्कि उनके क्लाइंट्स ने जीवन के हर क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता और समृद्धि प्राप्त की है, जिससे उन्हें एक अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मनोवैज्ञानिक के रूप में स्थापित किया है। जो भाषा, धारणा, स्मृति, ध्यान, तर्क, और भावनाओं में विशेषज्ञता रखते हैं, इन मानसिक प्रक्रियाओं के काम करने और एक-दूसरे के साथ बातचीत करने के तरीकों को समझने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

डॉ. कृष्णकांत लवानिया जी को उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा राज ज्योतिषी के पद पर संबोधित किया गया है। डॉ. लवानिया जी भारत के 20 से अधिक राज्यों के राज-भवनों की वास्तु ठीक करने का कीर्तिमान स्थापित करने वाले विश्व के प्रथम एवं एकमात्र ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ है।

वर्तमान समय में इनके द्वारा विभिन्न संस्थाओं के पद सुशोभित किए जा रहे हैं जिनमें पदाधिकारी- निरंजनी अखाड़ा, राज ज्योतिषी (उत्तर प्रदेश), आजीवन सदस्य- इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन (ISCA), आजीवन सदस्य- अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन (APA), आजीवन सदस्य- इंडियन एसोसिएशन का क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट (IACP), उपाध्यक्ष-अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा, राष्ट्रीय प्रवक्ता ब्राह्मण सभा, राष्ट्रीय महासचिव- ब्रह्म समाज एकता समिति, अध्यक्ष- भारतीय विज्ञान कांग्रेस ज्योतिष एवं वास्तु, अध्यक्ष- नास्त्रेदमस इंटरनेशनल फाउंडेशन ऑफ वास्तु एवं ज्योतिष, वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु एक्सपर्ट- गणेशा स्पीक्स (बेजान दारूवाला जी द्वारा स्थापित), कार्यकर्ता- (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) विश्व हिंदू परिषद & बजरंग दल), उपाध्यक्ष- यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) एवं इंडियन स्प्रिंट राइडर्स- यूनियन साइकिलिस्ट इंटरनेशनल (UCI) स्विट्जरलैंड आदि है।

डॉ. कृष्णकांत लवानिया अपनी क्षमताओं के अनुसार कई बार सम्मानित हो चुके हैं इनको राज ऋषि अवार्ड (उत्तराखंड), राज ज्योतिषी (उत्तरप्रदेश), मगध रत्न (बिहार), ज्योतिष पीठ शंकराचार्य, ज्योतिषीय रत्न, ज्योतिष भूषण, ज्योतिष वाचस्पति अवार्ड 2009 एवं 2015, 2017, 2019, 2022 एवं 2023 बेस्ट एस्ट्रोलॉजर अवार्ड 2011, 2013, 2019 एवं 2023, अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिष एवं वास्तु प्रज्ञान अवार्ड, नास्त्रेदमस उपाधि 2011, 2021 एवं 2024, जंतु विज्ञान विषय में उत्कृष्ट कार्य के लिए साइंटिस्ट ऑफ द ईयर अवार्ड 2015, 2019 एवं 2022, अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन (APA) अवार्ड- 2024 आदि से सम्मानित किया जा चुका है।

डॉ. कृष्णकांत लवानिया ने हत्या और संगीन अपराधिक गतिविधियों में लिप्त खूंखार अपराधियों का मनोवैज्ञानिक परीक्षण किया है। इस परीक्षण के माध्यम से, उन्होंने इन अपराधियों के सामने आई सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, और भावनात्मक परिस्थितियों के सभी पहलुओं का गहन अध्ययन किया। अपने शोध कार्यों के निष्कर्षों के आधार पर, उन्होंने देश में 5 लाख से अधिक बाल्यावस्था और किशोरावस्था के बच्चों के लिए काउंसलिंग प्रोग्राम की शुरुआत की है। इस प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य इस आयु वर्ग के बच्चों में अपराधी गतिविधियों और विचारधाराओं को पनपने से रोकना है। डॉ. लवानिया का प्रमुख लक्ष्य है कि उनके द्वारा किए गए शोध कार्यों से प्राप्त निष्कर्षों का उपयोग करके बाल्यावस्था और किशोरावस्था के बच्चों की सोच को अपराध मुक्त किया जाए, जिससे उनका भविष्य उज्ज्वल और सुरक्षित हो सके और देश को अपराध मुक्त माहौल मिले।

डॉक्टर लवानिया एशिया के सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषाचार्य स्वर्गीय बेजान दारूवाला जी के प्रमुख शिष्यों में रहे हैं, स्वर्गीय दारूवाला जी के साथ डॉ. लवानिया का ज्योतिषीय एवं वास्तु अनुभव अपने 23 वर्षों से अधिक अनुभव में से 12 वर्षों का रहा है, वर्तमान में भी डॉ. लवानिया दारूवाला जी द्वारा स्थापित ज्योतिषीय संस्था गणेशा स्पीक्स के वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य हैं। डॉक्टर कृष्ण कांत लवानिया सिद्धांत ज्योतिष एवं वास्तु केंद्र एवं शगुन मैरिज ब्यूरो की भारत में लगभग 32 ऑफिसों का संचालन करते हैं इसमें लगभग 10,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ज्योतिषाचार्य, वास्तु गुरु एवं मनोवैज्ञानिक मार्गदर्शक इनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करते हैं।

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